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लोकप्रिय पुरानी परम्परा टेशू झेंझी के विवाह से शुरू होंगे शादियों के शुभ मुहूर्त

आगरा मे टेशू बनाते हुए विनोद प्रजापति

पुरानी परम्परा टेशू झेंझी के विवाह से शुरू होंगे शादियों के शुभ मुहूर्त

संवाददाता आगरा धर्मवीर प्रजापति

आगरा की तहसील खेरागढ़ में ग्राम पंचायत रहलई में बिनोद प्रजापति राजा टेसू बनाते हुए
और उन्हें तरह तरह के रंगों से राजा टेसू और झेंझी को सजाते हुए
शरद पूर्णिमा की रात को जमा किए गए धन से टेसू की बरात निकाली जाती है। उधर लड़कियां भी जमा किए गए धन से झेंझी के विवाह की तैयारी करती हैं। किसी सार्वजनिक स्थान पर धूमधाम से टेसू और झेंझी का विवाह कर दिया जाता है। उसके बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता है। रहलई में पुतले टेसू बेंचने वाले बिनोद प्रजापति ने बताया कि टेसू की कीमत 30 रुपए से 100 रुपए शुरू होती है। अधिकतर लोग बच्चों के लिए इन्हें खिलौने के रूप में खरीदते हैं। हालांकि कुछ घरों में अब भी पारंपरिक रूप से टेसू और झेंझी पूजन किया जाता है
बताया जाता है टेसू और झेंझी, वह दो शख्यिसत जिनकी शादी के लिए बच्चे घर-घर जाकर अनाज और रुपए एकत्रित करते हैं,और इसे युवा पूरी शिद्दत के साथ खेलते हैं।
इसे लड़के और लड़कियां की टोली टेसू और झेंझी को लेकर घर-घर जाकर रुपए एकत्रित करते हैं और पूर्णिमा के दिन टेसू और झेंझी की शादी करा कर उन्हें विसर्जन कर देते हैं। यह महाभारतकालीन परंपरा शहर में आज भी जीवित है। हालांकि अंतर बस इतना आया कि अब यह कॉलोनी और सोसाइटी की जगह यह मोहल्ले अौर बस्ती में बची हुई है। यह एक खेल है जिसके माध्यम से शादी की रीति-रिवाज की शिक्षा दी जाती है।
जानकार बताते हैं कि महाभारतकाल में कुंती के विवाह से पहले दो पुत्र हुए। इसमें से कुंती ने अपना एक पुत्र जंगल में छोड़ दिया, जिसका नाम बब्बरवाहन था। यह बड़ा होकर उपद्रव मचाने लगा। जिसका श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से सिर काट दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह नहीं मरा। जब श्रीकृष्ण को पता चला कि विवाह बाद इसे मारा जा सकता है तो उन्होंने छल से इसका विवाह कराया, जिसके बाद उसका संहार किया, तब से यह खेल शुरू हुआ।

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