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खुलेआम चल रहा है इकदिल मे मिलावट का गोरखधंधा

अधिकारी हुआ मौन तो चेक करे कौन, खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा निरंतर कार्यवाही न करने के कारण मिलावट खोरो के हौसले बुलंद

इकदिल में मिलावट का गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है

संवाददाता राहुल यादव

खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा निरंतर कार्रवाई नहीं करने की वजह से मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हैं

इटावा /इकदिल करीब एक वर्ष से अधिक समय से इकदिल कस्वा में पूर्व चेयरमेन डॉ सौरभ दीक्षित वाली गली में नकली घी बनाने का कारोबार चल रहा,

हररोज 100 किलो से ज्यादा मिलावटी घी सप्लाई होता हैं?

सूत्र,
लेकिन विभाग को इसकी खबर तक नहीं लगी।
नकली देसी घी बनाने की फैक्टरी खुले आम चल रही हैं?
दुकान में चल रही फैक्टरी में वनस्पति घी में केमिकल डालकर महज 5 मिनट में देशी घी तैयार किया जाता था?

सूत्र
गैस की भट्टी पर बड़े एक भागोना में नकली घी को गर्म कर तैयार किया जा रहा है आप तस्वीरों में साफ तौर से देख सकते हैं।
नकली घी का व्यापार करके मोटा रुपये कमाने के लालच में लोगों के स्वास्थ्य के साथ कर रहे खेलबाङ?
साफ जाहिर है कि आम इंसान की थाली में जहर घुल चुका है।
इन चीजों से बनता है नकली घी
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो नकली घी बनाने में रंग, एसेंस, पॉमोलीन (पॉम आइल) और वनस्पति घी का प्रयोग किया जाता है। दिखावे के लिए थोड़ा सा असली देसी घी भी डाला जाता है। खाद्य पदार्थों में दुकानदार अपने-अपने ढंग से मिलावट करते हैं।

मोटे मुनाफे का लालच करवा रहा अपराध

विशेषज्ञों ने बताया कि मिलावटी घी बनाने में 200 से 250 रुपए खर्च आता है और यह होलसेल में 350 से 400 रुपए तक में बिकता है। इसे दुकानदार ‌~600 से 750 तक में बेचते हैं। वहीं, शुद्ध देसी घी की बात करें तो यह 900 से 1000 रुपए में मिलता है।

नकली घी शरीर के लिए खतरनाक, कैंसर तक का खतरा
दीपावली को लेकर बाजार में तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। सीएमओ डॉ. गीताराम ने बताया कि मिलावटी चीजों के इस्तेमाल से किडनी, लीवर और दिल पर असर पड़ता है। इनसे कैंसर तक हो सकता है। पेट और स्किन के रोग तो तत्काल दिखाई देने लगते हैं, लेकिन बाकी गंभीर बीमारियां धीरे-धीरे घेरती है।

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